Monday, July 12, 2010

Sayari

Dosti Shayari, Friendship Shayari




Dost ek saahil hai tufaano ke liye,
Dost ek aaina hai armaano ke liye,
Dost ek mehfil hai anjaano ke liye,
Dosti ek khawaahish hai aap jaise dost ko paane ke liye !!

Jaan hai mujhko zindagi se pyaari,
Jaan ke liye kar doon kurbaan yaari,
Jaan ke liye todd doon dosti tumhaari,
Ab tumse kya chhupaana,
Tum hi toh ho jaan hamaari !

dosti ke naam ko na badnam karo
mere bharose ko na badnam karo,
meri dosti ko apna lena
humse ek baar hath mila lena...


Mushkilo se ghabra ke ab jina nahi chahte,
Dur tum se hoke ab rehna nahi chahte,
Yun to dost bahut bane iss zindagi me
Par aap jaise dost ko khona nahi chahte.

Yahi to khoobsurat dosti ka naata hai,
Jo bina kisi shart ke jiya jaata hai,
Rahe duriyan darmiyan to parwaah nahi,
Dost to harpal dil me basaya jaata hai...


Ajnabi Dosti

अजनबी दोस्ती......

दर्द में कुछ कमी-सी लगती है
जिन्दगी अजनबी-सी लगती है

एतबारे वफ़ा अरे तौबा

दुश्मनी दोस्ती-सी लगती है

मेरी दीवानगी कोई देखे

धुप भी चांदनी-सी लगती है

सोंचता हूँ की मैं किधर जाऊँ
हर तरफ रौशनी-सी लगती है


आज की जिन्दगी अरे तौबा

मीर की सायरी सी लगती है

शाम-ऐ-हस्ती की लौ बहुत कम है

ये सहर आखरी-सी लगती है


जाने क्या बात हो गयी यारों
हर नजर अजनबी-सी लगती है

दोस्ती अजनबी-सी लगती है.......

Friendship - दोस्ती

माना दोस्ती का रिश्ता खून का नही होता

लेकिन खून के रिश्ते से कम भी नही होता
दोस्ती मे एक बात मुझे समझ नही आती है

दोस्त मे लाख बुराई हो उसमे अच्छाई ही क्यों नजर आती है
दोस्त बिठाता है आपको सर आँखों पर

आपकी सारी परेशानी लेता है अपने उपर

आप की गलती सारी दुनिया से छुपाता है
खुद के अच्छे कामों का श्रेय भी आप ही को देता है
दोस्त होता है ऐसे
दियों के लिए बाती जैसे
अन्धो के लिए लाठी जैसे

प्यासे के लिए पानी जैसे
बच्चे के लिए नानी जैसे
लेखक के लिए कलम जैसे

बीमार के लिए मरहम जैसे
कुम्हार के लिए माटी जैसे
किसान के लिए खेती जैसे
भक्त के लिए वरदान जैसे
मरने वाले के लिए जीवनदान जैसे
अन्त मे आप से एक ही बात है कहना
दोस्त को बुरा लगे ऐसा कोई काम ना करना

खुद भी खुश रहना और दोस्तो को भी रखना
चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल हो दोस्त का साथ ना छोडना
साथ होकर भी जाने क्यूं.... तन्हाई का एह्सास है...
हाथ थामे रहता है कोई... फ़िर भी लगता खाली हाथ है...जाने कैसा सूनापन गहराया.....हूंl